दुनिया की इस भीर में खुद को अलग रखो तो बहूत अछा है, मोर हजारो मिलेगे तुमको, कई मिलेगे तुमे तुमारी रहो में अपने एम्बिशन तक जाने वाली राह चुनो तो बेहत अच्छा ह कदम कदम पर यहाँ सबी को बस ठोककर ही मिलते है थाम कर मेरा हाथ अगर तुम संबल सखो तो अच्छा है..........
No comments:
Post a Comment